अष्ट-संस्कारित पारद

असली पारद / अष्ट संस्कारित  पारद / असली पारद शिवलिंग की पहचान कैसे करें?

पारद प्राकृतिक रूप से काफी जहरीला होता है। अष्ट-संस्कारित होने के बाद ही वह दैनिक पूजा के योग्य बनता है। पारद अष्ट-संस्कारित है या नहीं, यह जानने के लिए निम्नलिखित विधियों का प्रयोग करें:

जब भी आप पारद से बनी कोई सामग्री लें तो उपरोक्त परीक्षणों से यह सुनिश्चित कर लें कि वह शुद्ध अष्ट-संस्कारित पारद से बनी है।

पारद और पारद संस्कार क्या है?

भावप्रकाश में पारा चार प्रकार का लिखा गया है श्वेत, रक्त, पीत और कृष्ण । इसमें श्वेत श्रेष्ठ है । वैद्यक में  कहा गया है कि पारा कृमिनाशक,नेत्र रसायन, मधुर स्वभाव वाला और बलसामिक, त्रिदोषनाशक, वीर्यपात और एक प्रकार से छह रसों का पूर्ण मारक है। पारा में कई अशुद्धियाँ या दोष पाए जाते हैं; मल, विशा, अग्नि आदि।

इसलिए उपयोग करने से पहले इसे शुद्ध करना चाहिए। वैद्यक के ग्रंथों में पारे के उपचार के अनेक उपाय मिलते हैं।

प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले पारे की शुद्धि प्रक्रिया के विभिन्न चरणों को पारद संस्कार कहा जाता है। संस्कार के बाद पारा विभिन्न अशुद्धियों / दोषों से मुक्त हो जाता है और प्रकृति में दिव्य हो जाता है।

हमें पारद को संस्कार के पश्चात् ही क्यों प्रयोग करना चाहिए ?

सामान्य अवस्था में पारे में 8 प्रकार की अशुद्धियाँ या दोष होते हैं।

नाग दोष (Nag dosha) – सीसा / सीसा की उपस्थिति।
वुंग दोष (Vung Dosha) – टिन की उपस्थिति।
मल दोष (Mal Dosha)- इसमें मौजूद अन्य धातु जैसे आर्सेनिक, सोडियम आदि।
वाही दोष (Vahi Dosha) – जहरीले पदार्थ जैसे आर्सेनिक, जिंक आदि की उपस्थिति।
चंचलता (Fickleness )- पारद अपार चंचलता है जो अपने आप में अशुद्धता है।
विष दोष (Poison Dosha)- पारद में कई विषैले तत्व होते हैं, जो व्यक्ति की जान ले सकते हैं।
गिरी दोष (Giri Dosha) – पारद में अपने अस्तित्व और परिवेश के कारण कई अशुद्धियाँ होती हैं।
अग्नि दोष (Fire defect)- पारा 357 डिग्री सेल्सियस पर वाष्पित हो जाता है जो स्वयं एक अशुद्धता है।

पारद से निर्मित सामग्री जैसे पारद शिवलिंग / पारद गुटिका / पारद माला इत्यादि अष्ट संस्कारित पारद से निर्मित होने चाहिए . जैसा कि विभिन्न रस शास्त्र ग्रंथों में वर्णित है जैसे कि रसेंद्रसार, रस तरंगिणी, रस रत्न-समुच्चय, आदि।

इसलिए पारद को पवित्र और फलदायी बनाने के लिए संस्कार करना आवश्यक है।

ये 8 संस्कार हर्बल अर्क के साथ मिलकर पारद को सभी दोषों से मुक्त करते हैं। तब यह जस्ता, सीसा या टिन से पूरी तरह मुक्त होता है। जिनका वर्णन शास्त्र की पाठ्यपुस्तकों में पारद के दोषों के रूप में किया गया है।

इस संस्कारित पारद शिवलिंग को कपड़े पर या हाथ पर मलने / रगड़ने से किसी प्रकार का कालापन नहीं दिखेगा।

यह अष्ट संस्कारित पारद विष और सभी प्रकार की अशुद्धियों से मुक्त है। पारद ब्रह्मांड का सर्वोच्च तत्व है; यह भगवान शिव का जीवन तत्व है जैसा कि वेदों, पुराणों और भारत की प्राचीन पाठ्य पुस्तकों में लिखा गया है।

अतः , कभी भी साधारण जहरीले पारा या पारद उत्पाद को मत लीजिए, हमेशा अष्ट संस्कारित पारद को ही अपनी पूजा के लिए लें। अष्ट संस्कारित पारद द्वारा निर्मित पारद शिवलिंग को ही वास्तव में मूल पारद शिवलिंग कहा जा सकता है।

पारद संस्कार कितने प्रकार के होते हैं?

पारद (रस) के कुल 18 संस्कार किए जाते हैं, जिनमें से पहले आठ संस्कार पारद को शुद्ध करने और उसे औषधि, रसायन और धातु के निर्माण एवं औषधीय ग्रेड में बदलने के लिए आवश्यक हैं, जबकि शेष 10 संस्कारों का उपयोग- खेचरी सिद्धि, धातु परिवर्तन, सिद्ध सूत और सोना बनाने के लिए किया जाता है।
आचार्यों ने जो 18 संस्कार बताए हैं वे निम्नलिखित हैं-

1) Swedan (स्वेदन) 2) Mardan (मर्दन) 3) Murcchan (मूर्च्छन)
4) Utthapan (उत्थापन) 5) Trividhpatan (त्रिविधपातन) 6) Rodhan (रोधन)
7) Niyaman (नियामन) 8) Sandipan (संदीपन) 9) Gagan Bhakshan (गगनभक्षण)
10) Sancharan (संचारण) 11) Garbhduti (गर्भदुती) 12) baheryaduti बार्ह्यादुती
13) Jaran (जारण) 14) Ranjan (रंजन) 15) Saran (सारण)
16) Sankraman (संक्रामण) 17) Vedhan (वेधन) 18) Shariryog (शरीरयोग)

 

अष्ट संस्कारित पारद के लाभ

 यदि पारद अष्ट-संस्कारित (सिद्ध) है, तो प्राप्त लाभों की तुलना नहीं की जा सकती। दर्शन, धारण और पूजा के लिए संस्कृत पारद को बहुत कल्याणकारी माना जाता है। इसी प्रकार अष्ट संस्कार पारद से बनी अन्य वस्तुओं जैसे पारद शिवलिंग, पारद शंख, पारद श्रीयंत्र आदि के प्रयोग से भी जीवन में वांछित फल की प्राप्ति संभव है। रसचंदशुह नामक ग्रन्थ में कहा गया है-

शताश्वमेधेन कृतेन पुण्यं गोकोटिभि: स्वर्णसहस्रदानात।
नृणां भवेत् सूतकदर्शनेन यत्सर्वतीर्थेषु कृताभिषेकात्॥6॥

अर्थात सौ अश्वमेध यज्ञ करने के बाद, एक करोड़ गाय दान देने के बाद या स्वर्ण की एक हजार मुद्राएँ दान देने के पश्चात् तथा सभी तीर्थों के जल से अभिषेक (स्नान) करने के फलस्वरूप जो पुण्य प्राप्त होता है, वही पुण्य केवल पारद के दर्शन मात्र से होता है।

पारद शिवलिंग, पारद शंख, पारद श्रीयंत्र, पारद गुटिका, पारद पेंडेंट, पारद पिरामिड, पारद लक्ष्मी गणेश, पारद पत्र, पारद मुद्रिक आदि से बने प्राचीन भारतीय शास्त्रों जैसे स्कंद पुराण, रास रत्नाकर, निघंटू प्रकाश, शिवनिर्याण रत्नाकर आदि के अनुसार अष्ट-संस्कारित पारद के उपयोग करने से भौतिकवादी और अध्यात्म दोनों में सफलता मिलती है

क्या घर में पारद शिवलिंग रखना चाहिए? /  Kya ghar me Parad Shivling rakhna chahiye ?

घर के सभी वास्तु दोषों की समाप्ति के लिए और वातावरण को पवित्र करने के पारद शिवलिंग को घर में रखा जाता है। यदि आप अपने घर में मौजूद दरिद्रता और बुरी शक्तियों का नाश करना चाहते हैं इसे घर में स्थापित कर सकते हैं।

पारद शिवलिंग की कीमत क्या है? / Parad Shivling ki keemat kya hai?

पारद का अष्ट संस्कार करके उसको जागृत और पूजनीय बनाने में करीब 20 से 25 दिन लगते हैं । इसलिए आमतौर पर असली पारद शिवलिंग की कीमत नकली पारद शिवलिंग के मुकाबले काफी ज्यादा होती है। किंतु किसी भी साधक को नकली पारद शिवलिंग से हमेशा बचना चाहिए क्योंकि वह कैंसर जैसी भयानक बीमारी का कारण बन सकता है।

पारद शिवलिंग कहाँ से खरीदें? / Parad Shivling kaha se kharide? 

यदि महादेव की प्रेरणा से आपके अंदर भी असली पारद शिवलिंग खरीदने की इच्छा उत्पन्न हुई है तो हमारे पास original parad shivling उपलब्ध है। आप इसे हमारी वेबसाइट dhumragems.com पर जाकर parad shivling online buy कर सकते हैं।

क्या शाम को शिवलिंग पर जल चढ़ा सकते हैं? /  Kya Sham ko Shivling par jal chadha sakte hai? 

महाशिव पुराण के अनुसार प्रदोष काल में या महाशिवरात्रि पर रात्रि के चारों प्रहर में शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है। अतः शिवलिंग पर संध्या के समय जल चढ़ाया जा सकता है। शाम के समय जल चढ़ाने के लिए किसी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं है व्यक्ति अपनी श्रद्धानुसार शिवलिंग पर प्रातः और संध्याकाल दोनों ही समय पर शिवलिंग पर जल चढ़ा सकते है।

शिव जी पर कितने बेलपत्र अर्पित करने चाहिए? / Shiv ji par kitne Belpatra arpit karne chahiye? 

शिव को बेलपत्र अत्यधिक प्रिय है। शिव जी को बेलपत्र अर्पित करते समय यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि उसे उल्टा चढ़ाना चाहिए। आमतौर पर बेलपत्र में तीन पत्ते होते हैं किंतु प्रकृति के चमत्कार से 4,5,7 अथवा ज्यादा पत्ते वाले बेलपत्र भी मिलते हैं बेलपत्र को कटे फटे होने का कोई दोष नहीं लगता है।

शिवलिंग पर चावल चढ़ाने से क्या होता है? /  Shivling par chawal chadhane se kya hota hai? 

शिवलिंग पर अक्षत यानी साबुत चावल चढ़ाने का अपना विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि शिवलिंग पर अक्षत चावल अर्पित करने से धन की प्राप्ति होती है। मात्र 5 दाने चावल रोज चढ़ाने से अपार ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। चावल साफ एवं स्वच्छ होने चाहिए। शिवलिंग पर चावल चढ़ाने से शिवजी अतिप्रसन्न होते हैं और भक्तों को अखंडित चावल की तरह अखंडित धन, मान-सम्मान प्रदान करते हैं। उधार दिया गया पैसा वापिस पाने के लिए भी शिवलिंग पर चावल को अर्पित करना चाहिए।

घर में शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा कैसे करें? / Ghar me Shivling ki Pran Pratishtha kaise kare? 

पारदेश्वर यानी पारद शिवलिंग और नर्वदेश्वर शिवलिंग दोनों ही पूर्ण रूप से जागृत होते हैं इसीलिए उनकी प्राण प्रतिष्ठा करने की आवश्यकता नहीं होती । मात्र घर में स्थापित करने से पहले उसकी भली प्रकार पूजा अर्चना किया जाना पर्याप्त है। आइये जानते है किसी भी शिवलिंग को प्राण प्रतिष्ठित करने की विधि के बारे में :

1. प्राण प्रतिष्ठा के लिए एक पात्र में दूध के अंदर तीन दिनों तक इसे रखें।
2. इसके बाद उस पात्र से उठाकर शिवलिंग को 3 दिन तक गंगाजल में रखना होता है।
3. उसके बाद ही उसे स्थापित करना चाहिए।
4. ध्यान रहे इस क्रिया के बाद उस शिवलिंग की नियमित तौर पर पूजा अर्चना किया जाना अत्यंत आवश्यक है।

शिवजी को हल्दी चढ़ाने से क्या होता है?

शिवलिंग पर हल्‍दी नहीं चढ़ाते हैं। शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पुरुष तत्व का प्रतीक है और हल्दी स्त्रियों से संबंधित है। यही वजह है क‍ि भोलेनाथ को हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है। कहा जाता है क‍ि अगर आप शिवजी की पूजा में हल्दी का प्रयोग करते हैं तो इससे आपकी पूजा बेकार हो जाती है और आपकी पूजा का फल नहीं मिल पाता है। मात्र फाल्गुन मास की महाशिवरात्रि को भोलेनाथ पर हल्दी कुमकुम आदि का श्रृंगार किया जाता है।

पारद शिवलिंग को साफ कैसे करते हैं?

वैसे तो अष्ट संस्कारित पारद से निर्मित शिवलिंग कभी अशुद्ध नहीं होता। किंतु लगातार दूध दही शहद आदि से अभिषेक करते रहने के कारण और जल में उपस्थित विभिन्न तत्वों के कारण उस पर चिकनाई आदि जम जाती है। ऐसी अवस्था में पारद शिवलिंग को साफ करने के लिए सामान्य रूप से एक नींबू रस को छिलके के माध्यम से हल्के हाथ से इसे रगड़ने पर पारद शिवलिंग के ऊपर जमा हुई चिकनाई आदि गंदगी हट जाती है। और वह पुनः चमकने लगता है।

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