लाजवर्त, राजवर्त, Lapis Lazuli
लाजवर्त माला को शनि ग्रह के रत्न नीलम के उपरत्न के रूप में धारण किया जाता है। यह उपरत्न नीले रंग की विभिन्न आभाओं में पाया जाता है, जिसमें सफेद या पीले धब्बे भी देखे जा सकते हैं। सुनहरे धब्बों से युक्त लाजवर्त सबसे उत्तम माना जाता है। भारतीय ज्योतिष शास्त्र में लाजवर्त को नवरत्नों में शामिल किया गया है और अफ़गानी लाजवर्त को सर्वोत्तम माना जाता है।
लाजवर्त माला कौन कर सकते हैं धारण?
लाजवर्त रत्न अंगूठी में फरवरी माह में पैदा होने वाले लोगों के लिए विशेष अनुकूल माना गया है.
किंतु माला की विशेषता यह है की इसे कोई भी धारण कर सकता हैं
जिन व्यक्तियों की कुण्डली में शनि ग्रह शुभ भावों के स्वामी होकर निर्बल अवस्था में स्थित हैं वह इस उपरत्न को धारण कर सकते हैं.
यह शनि, राहु एवं केतु तीनों ग्रहों को उनकी स्तिथि के अनुसार सकारात्मक संतुलन और ऊर्जा देता है। जिससे तीनों के लाभ प्राप्त होते हैं।
लाजवर्त माला पहनने के लाभ
लाजवर्त माला धारण करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है। यह रत्न हीलिंग चिकित्सा में भी प्रयोग किया जाता है, जो नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है। इसकी ऊर्जा से आस-पास का वातावरण सकारात्मक और शांतिपूर्ण होता है। यह रत्न एकाग्रता में वृद्धि करता है और याददाश्त को बेहतर बनाता है। जो छात्र पढ़ाई में कमजोर होते हैं, उनके लिए लाजवर्त माला का उपयोग फायदेमंद होता है। यह रत्न बौद्धिक विकास और ज्ञान में वृद्धि करता है और कार्यक्षेत्र में सफलता दिलाने में सहायक होता है।
जिन्हें रचनात्मकता की जरूरत होती है, उनके लिए लाजवर्त माला चमत्कारिक फायदे दे सकती है। पत्रकारिता, लेखन, या सलाहकार के रूप में कार्यरत लोगों के लिए यह रत्न अत्यधिक लाभदायक होता है। यह आलस्य को दूर करके व्यक्ति को अपने काम के प्रति सजग बनाता है और गले और आवाज से संबंधित रोगों से बचाने में भी सहायक होता है।
लाजवर्त के अद्भुत गुण
लाजवर्त माला में अलौकिक गुण होते हैं जो उदासी का अंत करते हैं और बुखार की रोकथाम में मदद करते हैं। यह नकारात्मक भावनाओं को दूर रखता है और गले संबंधी विकारों को ठीक करता है। यह व्यक्ति की सहनशक्ति को बढ़ाने में भी सहायक होता है।
लाजवर्त माला कैसे धारण करें?
लाजवर्त माला शनिवार के दिन धारण करें. सूर्य अस्त होने से दो घंटे पहले ही इसकी प्राण प्रतिष्ठा करके शनि के मंत्र जैसे ” ॐ शं शनैश्चराय नम:” बोलते हुए इसे धारण करना चाहिए.
लाजवर्त की पहचान और गुणवत्ता
गहरे नीले रंग की चमकती हुई आभा वाला लाजवर्त उच्च गुणवत्ता का माना जाता है। इसके रंग और बनावट के आधार पर इसकी कीमत तय होती है। हल्के नीले रंग, हरे, बैंगनी, या भूरे रंग की झलक वाले लाजवर्त कम महंगे और कम असरकारक होते हैं।
कौन नहीं करे धारण?
पुखराज, माणिक्य, मोती, मूँगा रत्न अथवा इनके उपरत्न के साथ लाजवर्त (लापिस लाजुली) को धारण नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह संयोजन प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
Lajwart, Rajwart, Lapis Lazuli
Lajwart Mala is often worn as a substitute gemstone for Sapphire, associated with the planet Saturn. This semi-precious stone comes in various shades of blue, sometimes with white or yellow specks. The best Lajwart is considered to be the one with golden flecks. In Indian astrology, Lajwart is included among the Navaratnas (nine gems), with Afghan Lajwart being regarded as the highest quality.
Who Can Wear Lajwart Mala?
Lajwart is particularly suitable for people born in February. Those whose horoscope shows Saturn in a favorable but weak position can wear Lajwart Mala or Lapis Lazuli Stone Mala.
Benefits of Wearing Lajwart Mala or Lapis Lazuli Mala
Wearing Lajwart Mala brings mental peace and is used in healing therapies to remove negative energies. Its energy creates a positive and peaceful environment. It enhances concentration and improves memory, making it beneficial for students who struggle with studies. The gemstone fosters intellectual growth, increases knowledge, and aids in achieving success in the workplace.
For those needing creativity, Lajwart Mala can provide miraculous benefits. It is highly beneficial for those working in journalism, writing, or as consultants. It helps eliminate laziness and makes the person more alert to their work. It is also helpful in protecting against throat and voice-related disorders.
Amazing Properties of Lajwart
Lajwart Mala possesses mystical properties that help end sadness and prevent fever. It keeps negative emotions at bay and cures throat-related disorders. It also helps increase a person’s endurance.
How to Wear Lajwart Mala
Lajwart Mala can be worn as a ring, bracelet, or pendant. It should be worn in Panchdhatu (five-metal alloy) or steel on a Saturday. Before wearing, it should be energized, and the Saturn mantra “Om Sham Shanishcharaya Namah” should be chanted.
Identification and Quality of Lajwart
Lajwart with a deep blue color and a shiny luster is considered of high quality. Its price is determined by its color and texture. Lajwart with light blue color, or with hints of green, purple, or brown, is less expensive and less effective.
Who Should Avoid Wearing Lajwart Mala or Lapis Lazuli Mala?
Lajwart (Lapis Lazuli) should not be worn with gemstones like Yellow Sapphire, Ruby, Pearl, or Coral, or their substitutes, as this combination may have adverse effects.
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